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30 अक्तूबर 2015

जोड़ों के दर्द से कैसे बचें? (Joint Pain in Hindi)

जोड़ों के दर्द के कारण और उपचार 

Joint Pain in Hindi

Joint Pain
जोड़ों में दर्द का होना एक गंभीर समस्यां है और सर्दिओं में तो यह तकलीफ बहुत अधिक बढ़ जाती हैं| क्योंकि सर्दी के कारण हाथ पैर और भी अकड़ जाते हैं और जोड़ो के दर्द के मरीज को अधिक तकलीफ होती हैं | रोगी के लिए कष्टप्रद होता है | ऐसे में यह जरूरी हैं की हम कुछ घरेलु उपचार जानकर  इससे निजात पा सके और जोड़ों के दर्द को कम किया जा सके और इसे पूरी तरह ठीक किया जा सके |

जोड़ों के दर्द को दूर करने के लिए जरूरी उपचार

गर्म कपड़े पहनने चाहिए  जोड़ों के दर्द से अगर आप बहुत अधिक परेशान रहते है तो आपको सर्दी के मौसम में सबसे पहले अपने हाथो और पैरों पर गर्म दस्ताने और पैरो के घुटनों के लिए गर्म कपडे का इस्तेमाल करना चाहिए |

व्यायाम करना चाहिए  आपको ऐसे में शरीर से कुछ अतिरिक्त काम लेना चाहिए जिससे आपके जोड़े जाम न हो और हलके व्यायाम करना चाहिए| आप टीवी पर योग के टीवी प्रोग्राम देख कर कुछ हलके फुल्के व्यायाम सीख सकते हैं और इन्हें सुबह सवेरे उठकर कर सकते हैं, इससे शरीर में स्फूर्ति रहेगी और आपको जोड़ों के दर्द में भी राहत मिलेगी |

विटामिन डी की पूर्ती करने वाली चीजों का सेवन - विटामिन डी की कमी के चलते जोड़ो के दर्द की सस्मस्य बढ़ सकती हैं इसलिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार आप विटामिन की पूर्ती वाले भोजन को करना चाहिए|

मछली के तेल का सेवन करें मछली के तेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है जो शरीर की सुजन को दूर करने में मदद करता हैं इसलिए डॉक्टर की सलाह से आप इसका सेवन भी कर सकते हैं अधिक सेवन खून के अधिक बहने के समस्या को खड़ा कर सकता हैं|

खूब मालिश कराएँ जोड़ो के दर्द के समय आपको मालिश करना बहुत अधिक लाभदायक हैं क्योंकि इस से आपकी मांसपेशियों की अकडन दूर हो जाती हैं | इसीलिए जोड़ो में दर्द के रोगियों को किसी अच्छे दर्द निवारक आयुर्वेदिक तेल से या अगर ये तेल उपलब्ध ना हो तो आप सरसों के तेल को गरम करके भी दर्द वाले स्थान की मालिश कर सकते हैं |

28 अक्तूबर 2015

जानिये मिर्गी (Epilepsy) क्या है ? (Epilepsy ka gharailu upchar)



जानिये मिर्गी (Epilepsy)  क्या और  क्यों होता है 


Epilepsy


मिर्गी (Epilepsy) एक ऐसी बीमारी है जिसे लेकर लोग अक्सर बहुत ज्यादा चिंतित रहते हैं। हालांकि बीमारी चाहे जो भी हो, हमेशा परेशान करने वाली तथा घातक होती है। इसलिए हमें किसी भी मायने में किसी भी बीमारी के साथ कभी भी बेपरवाह नहीं होना चाहिए। खासतौर पर जब बात मिर्गी (Epilepsy) जैसे रोगों की हो तो हमें और भी सतर्क रहना चाहिए।
        
जब मिर्गी (Epilepsy) के बीमारी के दौरे पड़ते हैं तो मरीज के शरीर में खिंचाव होने लगता है तथा मरीज के हाथ-पैर अकड़ने लगते हैं और फिर मरीज बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ता है। मरीज व्यक्ति के हाथ तथा पैर मुड़ जाते हैं, गर्दन टेढ़ी हो जाती है, आंखे फटी-फटी हो जाती हैं, पलकें स्थिर हो जाती हैं तथा उसके मुंह से झाग निकलने लगता है। मिर्गी (Epilepsy) का दौरा पड़ने पर कभी-कभी तो मरीज की जीभ भी बाहर निकल जाती है जिसके कारण मरीज के दांतों से उसकी जीभ के कटने का डर भी लगा रहता है। मिर्गी (Epilepsy) के दौरे के समय में मरीज का पेशाब और मल भी निकल जाता है। मिर्गी (Epilepsy) का दौरा कुछ समय के लिए पड़ता है और जब दौरा खत्म होता है तो उसके बाद मरीज को बहुत गहरी नींद आ जाती है।

मिर्गी (Epilepsy) बीमारी होने का कारण-

यह बीमारी कई प्रकार के गलत तरह के खान-पान के कारण होता है। जिसके कारण मरीज के शरीर में विषैले पदार्थ जमा होने लगते हैं, दिमाग  के कोषों पर दबाब बनना शुरू हो जाता है और मरीज को मिर्गी (Epilepsy) का बीमारी हो जाता है।
ज्यादा  नशीले पदार्थों जैसे तम्बाकू और शराब का अधिक सेवन या अन्य नशीली चीजों का सेवन करने के कारण मस्तिष्क पर दबाव पड़ता है और व्यक्ति को मिर्गी (Epilepsy) का बीमारी हो जाता है।
पेट या आंतों में कीड़े हो जाने के कारण भी मिर्गी (Epilepsy) का बीमारी हो सकता है।
कब्ज की समस्या होने के कारण भी व्यक्ति को यह बीमारी हो सकता है।
स्त्रियों के मासिकधर्म सम्बन्धित रोगों के कारण भी मिर्गी (Epilepsy) का बीमारी हो सकता है।
मिर्गी (Epilepsy) का बीमारी कई प्रकार के अन्य बीमारी होने के कारण भी हो सकता है जैसे- स्नायु सम्बंधी बीमारी, ट्यूमर बीमारी, मानसिक तनाव, संक्रमक ज्वर आदि।
सिर में किसी प्रकार से तेज चोट लग जाने के कारण भी मिर्गी (Epilepsy) की  बीमारी हो सकती  है।
मिर्गी (Epilepsy) का बीमारी उन बच्चों को भी हो सकता है जिनके मां-बाप पहले इस बीमारी से पीड़ित हो। 

मिर्गी (Epilepsy) बीमारी का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
(Epilepsy ka gharailu upchar)

मिर्गी (Epilepsy) के बीमारी का उपचार करने के लिए मरीज व्यक्ति को कम से कम 2 महीने तक फलों, सब्जियों और अंकुरित अन्न का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा मरीज को फलों एवं सब्जियों के रस का सेवन करके सप्ताह में एक बार उपवास रखना चाहिए।
मिर्गी (Epilepsy) के बीमारी से पीड़ित मरीज को सुबह के समय गुनगुने पानी के साथ त्रिफला के चूर्ण का सेवन करना चाहिए। तथा फिर सोयाबीन को दूध के साथ खाना चाहिए इसके बाद ज्यादा  हरे पत्तेदार सब्जियां खाने चाहिए। इस प्रकार से प्रतिदिन उपचार करने से यह बीमारी कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
मरीज व्यक्ति को अपने पेट को साफ करने के लिए एनिमा क्रिया करनी चाहिए तथा इसके बाद अपने पेट तथा माथे पर मिट्टी की पट्टी लगानी चाहिए। मरीज को कटिस्नान करना चाहिए तथा इसके बाद उसे मेहनस्नान, ठंडे पानी से रीढ़ स्नान और जलनेति क्रिया करनी चाहिए।
मिर्गी (Epilepsy) बीमारी से पीड़ित मरीज का बीमारी ठीक करने के लिए सूर्यतप्त पानी को दिन में कम से कम 6-8 बार पीना चाहिए और फिर सर पर भीगी पट्टी लगानी चाहिए। जब पट्टी सूख जाए तो उस पट्टी को हटा लेना चाहिए। फिर इसके बाद मरीज को सिर पर आसमानी रंग का सूर्यतप्त तेल लगाना चाहिए। इस बीमारी से पीड़ित मरीज को गहरी नींद लेनी चाहिए।
जब मरीज व्यक्ति को मिर्गी (Epilepsy) बीमारी का दौरा पड़े तो दौरे के समय मरीज के मुंह में रूमाल लगा देना चाहिए ताकि उसकी जीभ न कटे। दौरे के समय में मरीज व्यक्ति के अंगूठे को नाखून को दबाना चाहिए ताकि मरीज व्यक्ति की बेहोशी दूर हो सके। फिर मरीज के चेहरे पर पानी की छींटे मारनी चाहिए इससे भी उसकी बेहोशी दूर हो जाती है। इसके बाद मरीज का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करना चाहिए ताकि मिर्गी (Epilepsy) का बीमारी ठीक हो सके।

मिर्गी (Epilepsy) के मरीज अक्सर इस बात से परेशान रहते हैं कि वे आम लोगों की तरह जिंदगी गुजर नहीं सकते। उन्हें कई चीजों से परहेज करना चाहिए। खासतौर पर अपनी जीवनशैली में आमूलचूल बदलाव  करना पड़ता है जिसमें बाहर अकेले जाना प्रमुख है।
दिमाग के अन्दर उपलब्ध स्नायु कोशिकाओं के बीच आपसी तालमेल न होना ही मिर्गी (Epilepsy) का कारण होता है। हलांकि रासायनिक असंतुलन भी एक कारण होता है।
अंगूर का रस मिर्गी (Epilepsy) मरीज के लिये अत्यंत उपादेय उपचार माना गया है। आधा किलो अंगूर का रस निकालकर प्रात:काल खाली पेट लेना चाहिये। यह उपचार करीब 6 महीने  करने से काफी फायदा  मिलता हैं।

मिर्गी (Epilepsy) के घरेलू उपचार

मिट्टी को पानी में गीली करके मरीज के पूरे जिश्म पर प्रयुक्त करना ज्यादा फायदामंद  उपचार है। एक घंटे बाद नहालें। इससे दौरों में कमी होकर मरीज स्वस्थ अनुभव करेगा।
मिर्गी (Epilepsy) मरीज को २५० ग्राम बकरी के दूध में ५० ग्राम मेंहदी के पत्तों का रस मिलाकर नित्य हर रोज सुबह  दो सप्ताह तक पीने से दौरे बंद हो जाते हैं। जरूर आजमाएं।
रोजाना तुलसी के २० पत्ते चबाकर खाने से बीमारी की गंभीरता में गिरावट देखी जाती है।
पेठा मिर्गी (Epilepsy) की सर्वश्रेष्ठ घरेलू चिकित्सा में से एक है। इसमें पाये जाने वाले पौषक तत्वों से दिमाग के नाडी-रसायन संतुलित हो जाते हैं जिससे मिर्गी (Epilepsy) बीमारी की गंभीरता में गिरावट आ जाती है। पेठे की सब्जी बनाई जाती है लेकिन इसका जूस रोजाना  पीने से ज्यादा फायदा मिलता है। स्वाद सुधारने के लिये रस में शक्कर और मुलहटी का पाउडर भी मिलाया जा सकता है।
गाय के दूध से बनाया हुआ मक्खन मिर्गी (Epilepsy) में फ़ायदा पहुंचाने वाला उपाय है। दस ग्राम नित्य खाएं।
ज्यादा जानकारी के लिए किसी डॉक्टर से संपर्क करें

27 अक्तूबर 2015

खांसी-जुकाम से कैसे बचें ? (Khansi-Jukam)

खांसी-जुकाम के लिए घरेलू उपचार


Cough

खांसी-जुकाम यूं तो एक सामान्‍य बीमारी है, लेकिन जब यह हो जाये तो तकलीफ बहुत देती है। इसे दूर करने के लिए बाजार में मिलने वाली अंग्रेजी दवायें आपको नींद बहुत आ सकती हैं। इसलिए आप कुछ कारगर घरेलू उपाय भी आजमा सकते हैं जो कि आपके शरीर पर बुरा प्रभाव भी नहीं डालते हैं|
खांसी-जुकाम किसी भी मौसम में हो सकती है। वैसे तो सर्दी, खांसी-जुकाम, सिरदर्द जैसी छोटी बीमारियां होती हैं जिनके इलाज के लिए हम डॉक्टर के पास जाने से परहेज करते हैं। खांसी-जुकाम की बीमारी से ग्रस्त होने पर हम कोई भी दैनिक कार्य सुकून से नहीं कर सकते हैं। खांसी-जुकाम किसी भी कारण से हो सकती है। मौसम में बदलाव के कारण , अधिक ठंडा या गरम खाने-पीने से या फिर धूल से संक्रमण  के कारण। अगर आपको सुखी खांसी-जुकाम हो जाये तो यह  ज्यादा तकलीफ देने वाला है। आइए अब हम ‘उपचारवाला’ में आपको खांसी-जुकाम से बचने के कुछ आसान और घरेलु उपायों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।

 खांसी-जुकाम से बचाव के लिए घरेलू उपचार निमंलिखित हैं|
Khansi-Jukam

गाय के शुद्ध दूध में  20 ग्राम घी और काली मिर्च को एक कटोरे में ले, और धीमी आंच पर इसको गरम करें। जब काली मिर्च अच्छे से गरम हो जाए तो उसे ठंडा कर ले और इस मिश्रण में लगभग 25 ग्राम   मिश्री को पिस कर मिला दीजिए। उसके बाद काली मिर्च को अलग कर ले और इसे खा लीजिए। इस खुराक को दिन में दो से तीन दिन तक लेने से खांसी-जुकाम रुक जायेगा|
तुलसी के हरे पत्ते पांच काली मिर्च के दाने , 5 दाने काला मुनक्का, 5 ग्राम चोकर आटा (गेहूं के आटे का छान), 5 ग्राम मुलहठी, 3 ग्राम बनफशा के ताजे फूल लेकर इन सब को 200 ग्राम पानी में काफी देर तक उबाल लीजिए। जब पानी आधा रह जाए तो उसे ठंडा कर ले और एक सूती कपडे में अच्छे से छान लीजिए। पुन: इस पानी को गर्म करें और मीठा मिलाकर रात को सोने से पहले गरम-गरम सेवन  लीजिए। इस मिश्रण को  चार से पांच दिन तक सुबह शाम रोजाना लेने से खांसी-जुकाम छूमंतर हो जाता है।
खांसी-जुकाम होने पर सेंधा नमक को धीमी आंच पर ठीक से गरम कर लीजिए। जब नमक का टुकड़ा  गर्म होकर लाल रंग का हो जाए तो इसके तुरंत बाद एक कप पानी में इस नमक के टुकड़े को डाल दे और फिर कुछ समय पश्चात इसे निकाल लीजिए। सोने से पहले इस पानी को पीने से खांसी-जुकाम में बहुत अधिक आराम मिलता है।
खांसी-जुकाम के आने पर सोंठ को दूध में डालकर उबाल लीजिए। शाम को सोते वक्त इस दूध को पी लीजिए। ऐसा करने से कुछ दिनों में खांसी-जुकाम बिलकुल ठीक हो जाती है।
शहद, किशमिश और मुनक्के को एक साथ मिलाकर खाने से खांसी-जुकाम ठीक हो जाती है।
त्रिफला में बराबर मात्रा में शहद मिलाकर तीन से चार दिन पीने से खांसी-जुकाम में फायदा होता है।
तुलसी, कालीमिर्च और अदरक की चाय पीने से भी खांसी-जुकाम खत्म होती है।
हींग, त्रिफला, मुलेठी और मिश्री को नींबू के रस में मिलाकर चाटने से भी खांसी-जुकाम में काफी फायदा मिलता है।


सूखी खांसी कुछ ज्यादा ही दुखदायक होती है। सूखी खांसी में कफ नहीं आता सिर्फ खांसी ही खांसी आती है और आपके  सीने को जकड़ कर रखती है जो आपको काफी परेशान करती है। खांसी अगर ज्यादा दिन तक आए तो उसे नजरअंदाज कभी नहीं करना चाहिए। दो हफ्ते से ज्यांदा खांसी आने पर डॉक्टर  से संपर्क जरूर करना चाहिए।

26 अक्तूबर 2015

मोटापे से छुटकारा कैसे पायें? How to lose weight in hindi

पेट की चर्बी को कम करने के उपाय

How to lose weight in hindi


Fat loss

हम लोगों को सेहतमंद व फिट रखने में अपने खानपान की अहम भूमिका होती है। ज्यादा व्यस्त दिनचर्या के कारण लोगों की शारीरिक गतिविधि दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है जिसकी वजह से ली गई कैलोरी फैट में तब्दील होकर आपके पेट के आस-पास के हिस्सों में दिखने लगती है।
आमतौर पर लोग वजन कम करने में दिन रात लगे रहते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा जो समस्या आती है वो है पेट के आसपास की चर्बी को हटाना। क्या आप जानते हैं कुछ लोग मोटे नहीं होते लेकिन उनके पेट के आसपास काफी चर्बी जमा हो जाती है। पेट पर जमा फैट ना तो सिर्फ आपकी सेहत बिगाड़ता है बल्कि यह आपके सारा लुक को भी बिगाड़ देता  है। जानिए हमारे साथ पेट पर जमा चर्बी को कम करने के आसान नुस्खे के बारे में और जल्द ही फर्क देखिए-

 खाने के बाद पानी पीने पीने से बचें

आमतौर पर  देखा गया है कि खाना खाने के बाद लोग खूब  सारा पानी पी लेते हैं जो कि पेट को निकलने की मुख्य कारणों  में से एक है। खाने के बाद  पानी पीना उचित नहीं, बल्कि  एक घण्टे बाद पानी पीना चाहिए। अगर आपको ज्यादा प्यास लग रही है तो खाने के बाद सिर्फ  एक कप हल्का गुनगुना पानी ले लें

थोड़ा-थोड़ा करके खाना खाएं

तीन टाइम खाने से अच्छा होगा की आप  थोड़ा-थोड़ा करके कई बार खाएं। हर एक या  दो घंटे में कुछ ना कुछ खाते पीते रहें। इससे आपके शरीर का मेटाबॉलिज्म तो ठीक रहता ही है इसके साथ-साथ ही ऊर्जा का स्तर भी अच्छा बना रहता है। खाने में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा ले । ये हजम होने  में ज्यादा समय लेते हैं और पेट को ज्यादा देर तक भरा रहता है। अंडे का सफेद वाला भाग, फैट फ्री दूध और दही, ग्रिल्ड फिश और सब्जियां आपको स्लिम एवं फिट बनती है।

शहद भी है फायदेमंद

जैसा कि हम लोग  जानते हैं की शहद गुणों का खज़ाना है। ये मोटापा को कम करने में भी काफी कारगार है। रोजाना सुबह- सुबह हलके गरम या गुनगुने पानी में शहद मिलाकर पीएं। लगातार इस प्रक्रिया को अपनाने से आपको जल्द ही असर दिखने लगेगा।

ग्रीन चाय पियें

यदि आप चाय पीने के ज्यादा शौकीन हैं, तो आप दूध की चाय से बचे और इसके बजाय एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर ग्रीन टी, या फिर ब्लैक टी पीने की आदत डाल ले  इसमें थायनाइन नामक अमीनो एसिड मौजूद होता है जो दिमाग में ऐसे केमिकल्स का स्त्राव करता है और आपकी भूख पर कंट्रोल भी करता है।

मॉर्निग वॉक करें और फिट रहें

हर रोज  सुबह सैर पर जाएं और रात के खाने के बाद भी सैर करना कभी ना भूलें। इससे पेट की चर्बी को और कमर की अतिरिक्त कैलोरी कम करने में काफी मदद मिलती है| क्यों कि नियमित रूप से सैर पर जाने से 30 फीसदी कैलोरीज जल जाती  है। पेट की चर्बी को जल्दी कम करना है तो आपको कम से कम तीस मिनट के वॉक सेशन रखें। लगातार स्पीड से ना चल सके तो बीच बीच में इंटरवल ले सकतेंथोड़ी देर तेजी से चलें और फिर स्पीड को कम कर लें।

व्रत\फ़ास्ट रखें |

अगर आप खाने-पीने के बहुत शौक रखतें है और इस आदत के वजह से  परेशान हैं, तो इसका सबसे आसान बेहतरीन तरिका ये है कि आप सप्ताह में कम से कम एक बार व्रत जरूर रखें। आप चाहे तो सप्ताह में एक दिन पेय पदार्थों का सेवन कर के भी रह सकते हैं, जैसे- जूस, नींबू पानीदूध, जूस, सूप  वगैरह  या किसी दिन सिर्फ सलाद या फल भी ले के रह सकते हैं।


खान-पान का रखें खास ख्याल |

अगर आप जंकफूड खूब खाते हैं या फिर आपको तला हुआ खाना बहुत पसंद है तो अब इनसे परहेज करना शुरू कर दीजिये। खाने में खासतौर पर सामान्य आटे के बजाय जौ और चने के आटे को मिलाकर रोटी  खांए, इससे आप जल्द ही स्लिम ट्रि‍म हो सकते है। रोजाना कुछ बादाम का गिरी खाने से कमर की साइज 25 सप्ताह में 6 1/2 इंच कम हो सकती है। तो आज से ही तय करें कि रोजाना सौ ग्राम नट्स आपने  खाने में जरूर शामिल करें। ये  कैलोरी से भरा होने के साथ ही फाइबर युक्त भी होते हैं। खाने में संतुलित कैलोरीज लें। आपको दिनभर में कम से कम 3000 कैलोरी जरूर ले।

नींद सही से लें |

संतुलित आहार और व्यायम के साथ साथ पर्याप्त नींद लेना भी बहुत जरूरी है। नींद पूरी ना होने के वजह से  तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन्स रिलीज होते हैं जो आपको खाने पीने के लिए प्रेरित करते है जिससे पेट की चर्बी को चर्बी भी बढ़ती है। रात में 6 से 8 घंटे सोने वाले लोगों में पेट का फैट कम होता है। इससे ज्यादा या कम नींद लेने वाले लोगों को तोंद/पेट  की समस्या ज्या दा होती है।


योग करना भी है जरूरी

अपने कमर और पेट की चर्बी को नियंत्रित करने के लिए आप नियमित रूप से सुबह उठकर योग करें। वैसे भी आप योग से फिट रह सकते है। लेकिन खासकर आप उन आसनों को करें जिससे  आपके पेट की चर्बी को और कमर को कम करने में ज्यादा मदद मिलें। सबसे बहले सूर्य नमस्कार की सभी क्रियाएं, सर्वांगासन, भुजंगासन, वज्रासन, पदमासन, शलभासन वगैरह को नियमित रूप से करें।


बॉल एक्सूरसाइज करें
जमीन पर पीठ के बल सीधा लेट जाएं उसके बाद हाथों पर एक्सकरसाइज वाली बडी़ बॉल को हाथों में ले कर अपने दोनों पैरों को ऊपर नीचे उठाएं। फिर पैरों से जो बॉल उठाई गई है उसे दुबारा हाथों में पकड़ाएं। इस क्रिया को लगातार 15 बार करें। इस तरह  करने से पेट पर जमा फैट कुछ ही दिनों में गायब  होने लगेगा।


23 अक्तूबर 2015

अस्थमा के घरेलु उपचार ( What is asthma in hindi)



अस्थमा के क्या पहचान हैं?

What is asthma in hindi



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अगर किसी व्यक्ति में निम्नलिखित में से कोई भी लक्षण पाया जाता है| तो ये अस्थमा की पहचान हैं| यदि आपको सांस को छोडते समय कोई भी परेशानी जैसे-
Ø  खांसी का बार-बार होना|
Ø  श्वास को लेने और छोड़ने में तकलीफ़ का होना|
Ø  सीने में कफ/बलगम का बनना
Ø  छाती जकड़ी हुई महसूस होना
Ø  फेफड़े में संक्रमण(इन्फेक्शन) जिसे न्युमोनिया (pneumonia) भी कहते हैं
नीचे दिए गए कारणों की वजह से अस्थमा रोग हो सकता हैं 



आपके घर के अन्दर और बाहर ऐसी अनेक वजह होती है जिसके कारणवश अस्थमा जैसे रोग की शुरुआत हो सकती है। जैसे-

वायु प्रदुषण (Air Pollution)

वायु का प्रदूषित होना अस्थमा का सबसे प्रमुख कारण है। प्रदूषित हवा साँस की नली में
जाकर अस्थमा जैसे रोग को जन्म देती है।  गाडियों से निकलता जहरीला धुआ भी वायु को प्रदूषित करता हैं| धुम्रपान करना या धुम्रपान कर रहे व्यक्ति के पास अधिक समय तक खड़ा होना भी हानिकारक हैं| और अस्थमा जैसे रोग को आपके शरीर में घर करने में प्रमुख कारक हैं|
खुशबूदार परफ्यूम और डीयोद्रेंट आदि की उग्र गंद भी आपकी सांसो को दूषित करती हैं । आपको जिस भी सुगंध से एलर्जी होती हो वही सुगंध आपकी समस्या बढ़ा सकती हैं|जरुरी नहीं है की सभी अस्थमा के रोगियों में एक जैसी सुगंध से ही समस्या हो यह अलग-अलग मनुष्य में अलग हो सकती हैं । फूलो के पराग कण से भी अस्थमा जैसा जटिल रोग हो सकता है।
आपके घरो की दीवारों पर लगने वाले तेलयुक्त रंग की गंध  से।

वातावरण में समय-समय पर होने वाले बदलाव के कारण  

वातावरण में होने वाले अचानक बदलाव के कारण अस्थमा जैसा गंभीर रोग हो सकता है या अस्थमा बढ़ सकता है। अचानक बादल आना,बारिश होना,मौसम ठंडा या एयर कंडीशन(ACACAC) से आने वाली ठंडी हवा में साँस लेने के कारण अस्थमा रोग हो सकता है।

मानसिक उत्तेजना के कारण

ज्यादा जोर से हंसने से , ज्यादा रोने से और जोर-जोर से चिल्लाते वक्त ज्यादा तेज गति से साँस लेने के कारण भी अस्थमा रोग की शुरुआत हो सकती है। गुस्से में आ जाने के कारण भी अस्थमा रोगियों में मानसिक उत्तेजना के कारण अस्थमा रोग का प्रहार हो सकता है।

ज्यादा गहरी-गहरी साँस लेने से

ज्यादा कसरत करने से या अधिक खेल-कूद करते समय, गहरी साँस लेने के कारण भी अस्थमा का प्रहार हो सकता है। अस्थमा के रोगी बच्चो को खेलने से आधा घंटे पहले अस्थमा की दवा की एक खुराक लेनी चाहिए। और थोड़ी देर आराम करना चाहिए|



अस्थमा के उपचार के लिए कुछ आयुर्वेदिक नुस्खे

केला (BBanana)

सबसे पहले एक पके हुए केले को छिलके सहित धीमी आंच पर सेंक ले और बाद में उसका छिलका हटा ले| केले को टुकड़ो में काट ले और  पिसी हुई काली मिर्च डालकर गर्म-गर्म अस्थमा रोगी को दी जाएँ तो  रोगी को राहत मिलती हैं ।
 
लहसुन (Garlic)

लहसुन अस्‍थमा के उपचार में काफी लाभदायक होता है। अस्‍थमा रोगी लहुसन की चाय या 30 मिली दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से अस्‍थमा में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है।

अजवाइन और लौंग(Clove)

आमतौर से गर्म पानी में अजवाइन डालकर भाप लेने से भी अस्‍थमा की रोकथाम करने में मदद  मिलती है। यह घरेलू उपचार बहुत फायदेमंद है। इसके अलावा 5-6 लौंग लें और 100 मिली पानी में पांच मिनट तक अच्छे से उबालें। इस मिश्रण को सूती कपडे में छानकर इसमें एक बड़ी चम्मच शुद्ध शहद मिलाएं और इस काढ़े को गर्म-गर्म हर रोज इस्तेमाल करे। हर रोज दो से तीन बार इसे पीने से मरीज को निश्चित रूप से बहुत फायदा होता है।

तुलसी(Basil)

ज्यादातर तुलसी की पत्तियों से अस्‍थमा रोग को नियंत्रि‍त किया जा सकता है। तुलसी के हरे पत्तों को अच्छे से साफ कर ले और उनमें पिसी हुई कालीमिर्च डालकर खाने के साथ देने से अस्‍थमा नियंत्रित रहता है। इसके अलावा तुलसी और शहद को एक साथ मिलकर चाटने से अस्‍थमा से राहत मिलती है।
अन्‍य लाभ

अस्‍थमा का दौरा बार-बार न आये इसके लिए हल्दी में शहद मिलाकर चाटना चाहिए।
अस्‍थमा ज्यादातर एलर्जी की वजह से भी होता है। ऐसे में एलर्जी की रोकथाम करने के लिए दूध में हल्दी मिलाकर पीनी चाहिए।
शहद की सुगंध को अस्‍थमा रोगी को सुधांने से भी फायदा होता है।
नींबू पानी अस्‍थमा के दौरे को सामान्य करता है। खाने के साथ प्रतिदिन दमे रोगी को नींबू पानी का सेवन करना चाहिए। आंवला का भोजन में रोजाना उपयोग करने से भी इस रोग में फायदेमंद हैं|

सरसों के तेल को हल्का गर्म करके छाती पर हलके हाथ से मालिश करने से दमे का दौरा पड़ने के   दौरान आराम मिलता है।

मेथी के बीजों को पानी में अच्छे से पकाकर पानी जब खूब पाक जाए और काढ़ा सा बन जाए तो उसे पीना अस्‍थमा रोग में फायदेमंद है।

इन घरेलु उपायों को अपनाकर यकीनन अस्‍थमा रोग पर काबू पाया जा सकता हैं। मगर  इसके साथ ही जरूरी है कि मरीजो को धूल, मिट्टी,  घुएं इत्यादि से दूर रहना चाहिए।

ध्यान दे: -

अस्थमा के रोगी इन सब दवाइयों का सेवन करने से बचे

एस्पिरिन(Asprin) ,आइबूप्रोफेन(IBrufen), दर्दनाशक(Pain Killer) दवाई 
ब्लड प्रेशर कम करने में प्रयोग में आनेवाली अटेनोलोल , मेटोप्रोलोल आदि दवाईया
रामीप्रिल , एनालाप्रिल, ए .सी .ई इनहीबिटर दवाईया

21 अक्तूबर 2015

पेट के दर्द के घरेलू नुस्खें ?


जानिये पेट के दर्द के कारण

Pet ka dard ka gharailu upchar)
Stomach Pain
हम सब के अच्छे जीवन के लिए अच्छे स्वास्थ्य का होना जरूरी है । इसके बारे में एक कहावत मशहूर हैं पहला सुख निरोगी काया आदि। ज्यादातर बीमारियों की वजह है ‘असंयमित खान-पान’। गलत खानपान के कारण कभी-कभी पेट में दर्द होने लगता है। आइये जानते हैं पेट में दर्द होने के कारण और उसके घरेलू उपाय|

यूं तो पेट दुखने के अलग-अलग कई कारण हो सकते हैं, लेकिन आमतौर पर पेट के दर्द का एक मुख्य कारण अपच, मल सूखना, गैस(Acidity) बनना यानी वात प्रकोप होना और लगातार कब्ज बना रहना भी है। पेट के दर्द को दूर करने के लिए कुछ घरेलू उपाय है, जो दर्द तो दूर करते है, साथ ही साथ पेट की क्रियाओं को भी ठीक करते है। आइए जानें इन उपायो के बारें में।

पेट के दर्द के घरेलू नुस्खें ( Pet ka dard ka gharailu upchar)

·         पेट के दर्द मे हींग का प्रयोग फायदा कारी होता है। एक कटोरी में 2 ग्राम पिसा हुआ हींग और थोडा पानी मिलाकर पेस्ट बना ले । नाभी पर और उसके आस-पास यह पेस्ट लगाए। छोटे बच्चों के पेट दर्द में यह नुस्खा बहुत ही फायदा कारी हैं|
·         अजवाइन को गर्म तवे पर अच्छे से सेक लें और इसे काले नमक के साथ पीसकर पाउडर बना ले। इस चूरण को 2-3 ग्राम गर्म पानी के साथ दिन में 3 बार लेने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
·         जीरे को गर्म तवे पर सेकें और 2-3 ग्राम की मात्रा गर्म पानी के साथ दिन में 2 से 3 बार लें। इसे चबाकर खाने से भी फायदा  होता है।

·         पुदिने और नींबू का रस एक चम्मच लें। अब इसमें आधा चम्मच अदरक का रस और थोडा सा काला नमक मिलाकर सेवन करें। दिन में 2 से 3 बार इस्तेमाल करें, पेट के दर्द में काफी आराम मिलेगा।
·         सूखी अदरक मुंह में रखकर चबाने से भी पेट के दर्द में फायदा होता है।
·         लेमन चाय पीने से भी पेट के दर्द को राहत मिलती हैं।
·         अदरक का रस नाभी पर लगाने और मालिश करने से पेट के दर्द में लाभ होता है।
·         यदि आपके पेट  में दर्द, एसिडीटी (अम्लता) से हो रहा हो तो पानी में थोड़ा सा मीठा सोडा डालकर पीने से फ़ायदा होता है।
·         पेट के दर्द के लिए चूरण बना ले : इसके लिए बराबर मात्रा में भुना जीरा, काली मिर्च, सौंठ, लहसून, हींग, सूखी पुदीने की पत्तिया, पीसकर बारिक चूर्ण बना ले| इसमें थोडा मात्रा में काला नमक भी मिला दें। खाना खाने के तुरन्त बाद एक चम्मच थोड़े से गर्म पानी के साथ लें। पेट के दर्द में काफी लाभदायक है।
·         एक बड़ा चम्मच शुद्ध देसी घी में हरे धनियें का रस मिलाकर लेने से पेट की तकलीफ दूर हो जाती हैं।
·         अदरक का रस और अरंडी का तेल एक-एक छोटा चम्मच मिलाकर दिन में 2 से 3 बार लेने से पेट के दर्द छूमन्तर हो जाता  है।
·         अदरक का रस एक छोटा चम्मच, नींबू का रस 2 छोटे चम्मच लेकर उसमें थोडी सी चीनी को मिलाकर प्रयोग करें। पेट के दर्द में फायदा  होगा। दिन में 2 से 3 बार ले सकते हैं।
·         अनार का फल भी पेट के दर्द मे बहुत फ़ायदेमंद है। अनार के बीज निकालें। थोडी मात्रा में नमक और काली मिर्च का पाउडर डालें। और दिन में दो से तीन बार सेवन करे |
·         मेथी के बीज को पानी में भिगोएं। इसे मिक्सी में पीसकर पेस्ट बनाएं। और इस मिश्रण को 250 ग्राम दही में मिलाकर दिन में दो बार लेने से पेट के समस्त विकार दूर हो जाते हैं।
·         इसबगोल के बीज को दूध में चार से छ: घंटे तक भिगोएं। रात को सोते समय लेते रहने से पेट में अगर मरोड का दर्द और पेचिश तक ठीक हो जाती है।
·         सौंफ़ भी पेट के दर्द में अति लाभकारी हैं।  २० ग्राम सौंफ़ रात भर एक गिलास पानी में भिगोएं। इसे पतले सूती कपडे से छानकर सुबह खाली पेट पीने से काफी हद तक इस रोग से छुटकारा मिल जाता हैं|  
·         नींबू के रस में काला नमक, जीरा, अजवायन चूरण मिलाकर दिन भर में दो से तीन बार पीने से पेट के दर्द से बहुत आराम मिलता है।

एक बात का ध्यान रहे कि कभी-कभी पेट में दर्द किसी अन्य बीमारी या गंभीर समस्या के कारण भी हो जाता है। इसलिए लगातार या तेज पेट में दर्द की समस्या होने पर कुशल चिकित्सक से मिलें और सभी जरूरी जांच आदि कराएं। उपरोक्त बताये गए सभी नुस्खे पेट की साधारण समस्या में अपनाये जा सकते हैं|