जानिये मिर्गी (Epilepsy) क्या और क्यों होता है
मिर्गी (Epilepsy) एक ऐसी बीमारी है जिसे
लेकर लोग अक्सर बहुत ज्यादा चिंतित रहते हैं। हालांकि बीमारी चाहे जो भी हो,
हमेशा परेशान करने
वाली तथा घातक होती है। इसलिए हमें किसी भी मायने में किसी भी बीमारी के साथ कभी
भी बेपरवाह नहीं होना चाहिए। खासतौर पर जब बात मिर्गी
(Epilepsy)
जैसे रोगों
की हो तो हमें और भी सतर्क रहना चाहिए।
जब मिर्गी
(Epilepsy)
के बीमारी
के दौरे पड़ते हैं तो मरीज के शरीर में खिंचाव होने लगता है तथा मरीज के हाथ-पैर
अकड़ने लगते हैं और फिर मरीज बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ता है। मरीज व्यक्ति के हाथ
तथा पैर मुड़ जाते हैं, गर्दन टेढ़ी हो जाती है, आंखे फटी-फटी हो जाती हैं,
पलकें स्थिर हो
जाती हैं तथा उसके मुंह से झाग निकलने लगता है। मिर्गी
(Epilepsy)
का दौरा
पड़ने पर कभी-कभी तो मरीज की जीभ भी बाहर निकल जाती है जिसके कारण मरीज के दांतों
से उसकी जीभ के कटने का डर भी लगा रहता है। मिर्गी
(Epilepsy)
के दौरे के
समय में मरीज का पेशाब और मल भी निकल जाता है। मिर्गी
(Epilepsy)
का दौरा
कुछ समय के लिए पड़ता है और जब दौरा खत्म होता है तो उसके बाद मरीज को बहुत गहरी
नींद आ जाती है।
मिर्गी (Epilepsy)
बीमारी होने का कारण-
यह बीमारी कई प्रकार के गलत तरह के खान-पान के कारण
होता है। जिसके कारण मरीज के शरीर में विषैले पदार्थ जमा होने लगते हैं, दिमाग के कोषों पर दबाब बनना शुरू हो जाता है और मरीज
को मिर्गी (Epilepsy) का बीमारी हो जाता है।
ज्यादा नशीले
पदार्थों जैसे तम्बाकू और शराब का अधिक सेवन या अन्य नशीली चीजों का सेवन करने के
कारण मस्तिष्क पर दबाव पड़ता है और व्यक्ति को मिर्गी
(Epilepsy)
का बीमारी
हो जाता है।
पेट या आंतों में कीड़े हो जाने के कारण भी मिर्गी (Epilepsy) का बीमारी हो सकता है।
कब्ज की समस्या होने के कारण भी व्यक्ति को यह बीमारी
हो सकता है।
स्त्रियों के मासिकधर्म सम्बन्धित रोगों के कारण भी मिर्गी (Epilepsy) का बीमारी हो सकता है।
मिर्गी (Epilepsy) का बीमारी कई प्रकार के
अन्य बीमारी होने के कारण भी हो सकता है जैसे- स्नायु सम्बंधी बीमारी, ट्यूमर बीमारी, मानसिक तनाव, संक्रमक ज्वर आदि।
सिर में किसी प्रकार से तेज चोट लग जाने के कारण भी मिर्गी (Epilepsy) की बीमारी
हो सकती है।
मिर्गी (Epilepsy) का बीमारी उन बच्चों को
भी हो सकता है जिनके मां-बाप पहले इस बीमारी से पीड़ित हो।
मिर्गी (Epilepsy)
बीमारी का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
(Epilepsy ka gharailu upchar)
मिर्गी (Epilepsy) के बीमारी का उपचार करने
के लिए मरीज व्यक्ति को कम से कम 2 महीने तक फलों, सब्जियों और अंकुरित अन्न का सेवन करना चाहिए। इसके
अलावा मरीज को फलों एवं सब्जियों के रस का सेवन करके सप्ताह में एक बार उपवास रखना
चाहिए।
मिर्गी (Epilepsy) के बीमारी से पीड़ित मरीज
को सुबह के समय गुनगुने पानी के साथ त्रिफला के चूर्ण का सेवन करना चाहिए। तथा फिर
सोयाबीन को दूध के साथ खाना चाहिए इसके बाद ज्यादा हरे पत्तेदार सब्जियां खाने चाहिए। इस प्रकार
से प्रतिदिन उपचार करने से यह बीमारी कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
मरीज व्यक्ति को अपने पेट को साफ करने के लिए एनिमा
क्रिया करनी चाहिए तथा इसके बाद अपने पेट तथा माथे पर मिट्टी की पट्टी लगानी
चाहिए। मरीज को कटिस्नान करना चाहिए तथा इसके बाद उसे मेहनस्नान, ठंडे पानी से रीढ़ स्नान
और जलनेति क्रिया करनी चाहिए।
मिर्गी (Epilepsy) बीमारी से पीड़ित मरीज
का बीमारी ठीक करने के लिए सूर्यतप्त पानी को दिन में कम से कम 6-8 बार पीना चाहिए
और फिर सर पर भीगी पट्टी लगानी चाहिए। जब पट्टी सूख जाए तो उस पट्टी को हटा लेना
चाहिए। फिर इसके बाद मरीज को सिर पर आसमानी रंग का सूर्यतप्त तेल लगाना चाहिए। इस बीमारी
से पीड़ित मरीज को गहरी नींद लेनी चाहिए।
जब मरीज व्यक्ति को मिर्गी
(Epilepsy)
बीमारी का
दौरा पड़े तो दौरे के समय मरीज के मुंह में रूमाल लगा देना चाहिए ताकि उसकी जीभ न
कटे। दौरे के समय में मरीज व्यक्ति के अंगूठे को नाखून को दबाना चाहिए ताकि मरीज
व्यक्ति की बेहोशी दूर हो सके। फिर मरीज के चेहरे पर पानी की छींटे मारनी चाहिए
इससे भी उसकी बेहोशी दूर हो जाती है। इसके बाद मरीज का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से
करना चाहिए ताकि मिर्गी (Epilepsy) का बीमारी ठीक हो सके।
मिर्गी (Epilepsy) के मरीज अक्सर इस बात से
परेशान रहते हैं कि वे आम लोगों की तरह जिंदगी गुजर नहीं सकते। उन्हें कई चीजों से
परहेज करना चाहिए। खासतौर पर अपनी जीवनशैली में आमूलचूल बदलाव करना पड़ता है जिसमें बाहर अकेले जाना प्रमुख
है।
दिमाग के अन्दर उपलब्ध स्नायु कोशिकाओं के बीच आपसी
तालमेल न होना ही मिर्गी (Epilepsy) का कारण होता है। हलांकि
रासायनिक असंतुलन भी एक कारण होता है।
अंगूर का रस मिर्गी
(Epilepsy)
मरीज के
लिये अत्यंत उपादेय उपचार माना गया है। आधा किलो अंगूर का रस निकालकर प्रात:काल
खाली पेट लेना चाहिये। यह उपचार करीब 6 महीने करने से काफी फायदा मिलता हैं।
मिर्गी (Epilepsy)
के घरेलू उपचार
मिट्टी को पानी में गीली करके मरीज के पूरे जिश्म पर
प्रयुक्त करना ज्यादा फायदामंद उपचार है।
एक घंटे बाद नहालें। इससे दौरों में कमी होकर मरीज स्वस्थ अनुभव करेगा।
मिर्गी (Epilepsy) मरीज को २५० ग्राम बकरी
के दूध में ५० ग्राम मेंहदी के पत्तों का रस मिलाकर नित्य हर रोज सुबह दो सप्ताह तक पीने से दौरे बंद हो जाते हैं।
जरूर आजमाएं।
रोजाना तुलसी के २० पत्ते चबाकर खाने से बीमारी की
गंभीरता में गिरावट देखी जाती है।
पेठा मिर्गी
(Epilepsy)
की
सर्वश्रेष्ठ घरेलू चिकित्सा में से एक है। इसमें पाये जाने वाले पौषक तत्वों से
दिमाग के नाडी-रसायन संतुलित हो जाते हैं जिससे मिर्गी (Epilepsy) बीमारी की गंभीरता में
गिरावट आ जाती है। पेठे की सब्जी बनाई जाती है लेकिन इसका जूस रोजाना पीने से ज्यादा फायदा मिलता है। स्वाद सुधारने
के लिये रस में शक्कर और मुलहटी का पाउडर भी मिलाया जा सकता है।
गाय के दूध से बनाया हुआ मक्खन मिर्गी (Epilepsy) में फ़ायदा पहुंचाने वाला उपाय है। दस ग्राम नित्य
खाएं।
ज्यादा जानकारी के लिए किसी डॉक्टर से संपर्क करें
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