Ayurvedic-upchar

Ayurvedic-upchar

Ayurvedic-upchar

Ayurvedic-upchar

Ayurvedic-upchar

Ayurvedic-upchar

27 नवंबर 2015

Paralysis symptoms in hindi


लकवा (Paralysis) का आयुर्वेदिक उपचार
Paralysis symptoms
Paralysis symptoms



Paralysis symptoms in hindi
लकवा (Paralysis) को आयुर्वेद में पक्षाघात बीमारी भी कहते हैं। इस बीमारी में मरीज  के एक तरफ के सभी अंग काम करना बिलकुल बंद कर देते हैं जैसे बांए पैर या बाएं हाथ का कार्य न कर पाना। साथ ही इन अंगों की दिमाग तक चेतना पहुंचाना भी निष्क्रिय यानि बंद हो जाता है| और इस बीमारी की वजह से अंगों का टेढापन, जिश्म में गरमी की कमी, और कुछ याद रखने की क्रिया भी खत्म हो जाती है। आयुर्वेद में लकवा (Paralysis) के प्रभाव को कम करने के अनेक उपचार एव उपाय दिए गए हैं।
लकवा (Paralysis) से बचने के आयुवेर्दिक उपचार :

1.    नाशपाती, सेब और अंगूर का रस बराबर मात्रा में एक ग्लिास में मिला लें। और इसे मरीज को लगातार देते रहें। कुछ समय तक यह उपाय हर रोज करना है तभी फायदा मिलेगा।
2.    सौंठ और उड़द को पानी में मिलाकर हल्की आंच में गरम करके मरीज को हर रोज पिलाने से लकवा ठीक हो जाता है।

3.   कुछ दिनों तो रोज छुहारों को दूध में भिगोकर मरीज को देते रहने से लकवा (Paralysis) धीरे धीरे ठीक होने लगता है।
4.    एक चम्मच काली मिर्च को पीसकर उसे तीन चम्मच देशी घी में मिलाकर लेप बना लें और लकवा (Paralysis) ग्रस्त अंगों पर इसकी हर रोज मालिश करें। एैसा करने से लकवा (Paralysis) ग्रस्त अंगों का रोग जल्द दूर हो जाएगा।
5.    करेले की सब्जी या करेले का रस को हर रोज  खाने अथवा पीने से लकवा (Paralysis) से प्रभावित अंगों में सुधार होने लगता है। यह उपाय रोज करना चाहिए।

6.    प्याज खाते रहने से और प्याज का रस का सेवन करते रहने से लकवा (Paralysis) मरीज जल्द ठीक हो जाता है।
7.    6-7 कली लहसुन को पीसकर उसे 1 चम्मच मक्खन में अच्छे से मिला लें और रोज इसका सेवन करें। लकवा (Paralysis) में बहुत लाभ मीलता है
8.    तुलसी के पत्तों, दही और सेंधा नमक को अच्छे से मिलाकर उसका लेप करने से भी लकावा जल्द ठीक हो जाता है। ये उपाय आपको लंबे समय तक करना होगा।
9.    गरम पानी में तुलसी के पत्तों को उबालें और उसका भाप लकवा (Paralysis) ग्रस्ति अंगों को लगातार देते रहने से लकवा (Paralysis) ठीक होने लगता है।
10.   500 ग्राम सरसों के तेल में 50 ग्राम लहसुन डालकर लोहे की कड़ाही में ठीक से पका लें। जब पानी जल जाए उसे ठंडा होने दें फिर इस तेल को छानकर किसी एक डिब्बे में रख लें। और इस तेल से लकवा (Paralysis) वाले अंगों पर हर दिन 2 बार मालिश करें।
लकवा (Paralysis) का सही समय पर इलाज न होने से मरीज  एक अपंग  की जिंदगी जीने को मजबूर हो जाता है या तो दुसरे पर निर्भर हो जाता है इसलिए समय से पहले लकवा (Paralysis) जैसे गंभीर बीमारी का इलाज  कराना बहुत जरूरी है। आयुवेर्दिक तरीकों से लकवा (Paralysis) पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। ये उपाय लंबे समय तक लगातार करने से ही आपको फायदा देगा । इसलिए आपको धैर्य रखना बहुत जरूरी है।

25 नवंबर 2015

क्‍या होता हैं उच्च रक्तचाप (symptoms of high blood pressure)

उच्च रक्तचाप(High Blood Pressure)

High Blood Pressure
High Blood Pressure
मौसम के बदलने के साथ-साथ हमारी सेहत भी ख़राब होने लगती है। गर्मियों के मुकाबले सर्दियों में उच्च रक्तचाप(High Blood Pressure) की समस्या ज्यादा होती है। मौसम के बदलने के साथ-साथ आपका रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) भी बढ़ सकता है। गर्मियों में जहां आपका रक्तचाप अपेक्षाकृत कम ही रहता है, वहीं सर्दी के मौसम में रक्तचाप के बढ़ने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है।

क्‍या होता हैं उच्च रक्तचाप (symptoms of high blood pressure)

उच्च रक्तचाप(High Blood Pressure) में आपकी धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है। दबाव बढ़ने की वजह से आपकी धमनियों में रक्त के बहाव को सामान्य बनाए रखने के लिए दिल को सामान्य से अधिक कार्य करने की जरुरत पड़ती है। रक्तचाप में सामान्यत: दो माप को शामिल किया जाता हैं। सिस्टोलिक और डायस्टोलिक नाम के ये दो माप ही इस बात पर खास निर्भर करते हैं कि आपके हृदय की मांसपेशिया संकुचित (सिस्टोल) हो रही है या फिर धड़कनों के मध्य का खिचाव मुक्त(डायस्टोल) हो रहा है। सामान्यत: आराम की अवस्था में   रक्तचाप 100-140 mmHg सिस्टोलिक (उच्च-रीडिंग में) और 60-90 mmHg डायस्टोलिक (निम्न-रीडिंग में) की सीमा के अन्दर होता है। यदि रक्तचाप  लगातार 90/140 mmHg पर या इसके ऊपर बना रहे, तो यह उच्‍च-रक्‍तचाप की श्रेणी में आता है।

मौसम का असर उच्च रक्तचाप पर

अमेरिका देश के कुछ शोधकर्ताओं ने एक शोध में यह खुलासा किया हैं कि मौसम के बदलने का सीधा संबंध हमारे ब्‍लड प्रेशर पर पड़ता है। वाशिंगटन शहर में  स्थित यूएस डिपार्टमेंट ऑफ वेटरन अफेयर्स मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने उच्च रक्तचाप(High Blood Pressure) के शिकार करीब साढ़े चार लाख लोगों पर शोध  किया। इस शोध में शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर आये कि अधिकतर सर्दी के मौसम  में लोगों का रक्तचाप सामान्य से बहुत ऊपर तक चला जाता है, क्योंकि इस मौसम में लोग नमक का सेवन भी अधिक करते हैं।

साथ ही इस मौसम में लोग आलस्य की अधिकता के कारण कसरत करना भी नहीं चाहते हैं। गर्मियों के मौसम में लोगों को खाने की इच्छा बहुत कम होती है और उनका वजन तेजी से घट जाता है। साथ ही कसरत करने के लिहाज से भी गर्मी का मौसम लोगों के लिए अनुकूल होता है। तो लोगो में उच्च रक्तचाप की शिकायत भी कम देखने को मिलते हैं|

23 नवंबर 2015

Home Remedies for Mouth Ulcer in Hindi

मुँह में छाले (Mouth Ulcer)

Mouth Ulcer
Mouth Ulcer
मुँह में छाले मुंह में विकसित होनेवाले तकलीफदेह जख्म होते हैं। ये  जख्म छोटे पर अत्यधिक पीड़ादायक होते हैं, और इनके विकसित होने के कई कारण होते हैं। यह जख्म मुँह के भीतर या मुँह के बाहर भी विकसित हो सकते हैं। जो जख्म मुँह के बाहर जैसे कि होठों के ऊपर विकसित होते हैं, उन्हें कोल्ड सोर्सके नाम से जाना जाता है, और यह हर्पिस वाइरस के कारण विकसित होते हैं। यह अत्यधिक संक्रामक होते हैं, और एक आदमी से दूसरे व्यक्ति में चूमने से स्थानांतरित हो जाते हैं। मुँह के भीतर के छाले को 'एफथस अल्सर' कहा जाता हैं।

मुँह में छाले होने के कारण (Reason for Mouth Ulcer )

आपके दांतों से अगर आपकी जीभ कट जाए या दांतों पर ब्रश करते समय मुँह में किसी चीज़ को काट लेने से मुँह में छाले हो जाते हैं। दांतों में लगे हुए गेलीस (ब्रेसिस) भी मुँह के छालों के कारण बन सकते हैं। एफथस अल्सर किसी मानसिक तनाव की वजह से भी हो सकता हैं

मुँह के छालों के घरेलू उपचार (Home Remedies for Mouth Ulcer)

Ø पान में उपयोग किया जानेवाला कोरा कत्था लगाने से मुँह में छालों से बहुत राहत मिलती है।
Ø सुहागा तथा शहद की बराबर मात्रा मिलाकर छालों पर लगाने से या मुलहठी के चूर्ण को चबाने से छालों  में लाभ होता है।
Ø मुँह के छालों में अगर त्रिफला की राख को शहद में मिलाकर लगाया जाए तो आराम मिलता है। अगर आप अपने थूक से मुँह भर जाने पर उससे कुल्ला करें तो छालों में राहत मिलती है ।
Ø दिन में चार-पांच बार पानी से गरारे करें।
Ø अपने मुँह में पानी भर ले  और अपने चेहरे को पानी से बार-बार धोएं।
Ø दिन में 3 या 4 बार घी या सफ़ेद मक्खन को थपथपाकर लगायें।
Ø नारियल के दूध या नारियल के तेल से गरारे करने से मुँह के छालों से राहत मिलती है।
Ø अलसी के  दानो को चबाने से मुँह के छालों में आराम मिलता है ।
Ø पके पपीते के क्षीर को छालों पर लगाने से राहत मिलती है।
Ø 3 ग्राम त्रिफला का चूर्ण, 3 ग्राम अधिमधुरम,  1 चमच्च शहद और 1 चमच्च घी मिलाकर छालों पर लगाने से  आराम मिलता है।
Ø तीखे और मसालेदार खाना खाने और दही या अचार का न करें ।
Ø मुँह में छाले कब्ज़ियत के कारण भी होते हैं| पेट को साफ़ रखे|
Ø मुंह के छालों पर अमृतधारा में शहद मिलाकर लगायें। 
Ø शहद में भुने हुए सुहागे  को मिलाकर लगाना भी लाभकारी है।
Ø मुनक्का, दालचीनी, दारुहल्दी, नीम की छाल और इन्द्रजौ को समान भाग के काढ़े में शहद मिलाकर पीना  भी लाभ देता है।
Ø आँवला के पेड़ की छाल को फिटकरी के साथ काढ़ा बनाकर सेवन करने से भी लाभ मिलता  है।
Ø नीम की दातुन भी छालों के उपचार में सहायता करता है।
Ø तम्बाकू बिलकुल न चबाये।
Ø दिन में दो बार दांतों की सफाई करें।
Ø हरी सब्जियों और फलों का सेवन भरपूर मात्रा में करें।
Ø मट्ठा पीने से मुंह के छालों से बहुत आराम मिलता है। 

 वैसे तो मुँह में छाले स्वयं ही ठीक हो जाते हैं, लेकिन अगर वे एक सप्ताह से ज़्यादा जारी रहते हैं, या बार बार विकसित होते हैं तो तुरंत अपने चिकित्सक की सलाह लें।

20 नवंबर 2015

इन पौधों को घर में उगाने से स्‍वस्‍थ रहेगा आपका परिवार (Home Remedies Trees)



Home Remedies Trees

Tulsi-Garlic-Pudina-Dhaniya-Curry leaves Tree
Home Remedies Trees

ऐसा बहुत कम होता है की खूबसूरती और उपयोगिता दोनों साथ-साथ मिलें अगर मिल जाये तो क्या  कहना । अगर आप चाहते हैं की आपका घर और आपके परिवार खुशहाल और स्वास्थ्य रहे तो आपको कुछ खास पौधों को अपने घर में लगा सकते हैं। इन पौधों को घर में लगाने से आपको खूबसूरती के साथ मिलेगा सेहत का नायाब खजाना।

हमारे जीवन में पेड़ पौधों का बहुत ज्यादा महत्व है। इसलिए अक्सर लोग अपने घर में एक छोटा हिस्सा बागीचे के लिए जरूर रखते हैं। आजकल ज्यादातर घरों  में तरह तरह के फूलों के  पौधे लगाने का ज्यादा चलन है। इससे ना सिर्फ आपके परिवार एवं घर की सुंदरता बढ़ती है ब्लकि आपका परिवार  सेहतमंद व निरोग भी रहते हैं।

Home planting in hindi

आप अपने घर में आसानी से कई तरह के सेहतमंद छोटे छोटे पौधे भी उगा सकते हैं। जैसे तुलसी का पेड़ लगभग हर घर में मिलता है। ज्यदातर लोग पूजा करने के लिए तुलसी का पौधा लगाते हैं य कहीं कई रोगों से बचने के लिए इसे लगते है। तुलसी की ही तरह ऐसे कई पौधे हैं जो आपको सेहतमंद रखने में काफी मदद करते हैं। आइये हम जानें इन सेहतमंद पौधों के बारे में।


तुलसी

तुलसी एक ऐसा पौधा है जो ज्यादातर घरों के आंगन में पाया जाता है। इसको लगाने से आस पास का वातावरण साफ़ और कीटाणु रहित हो जाता है। इसके अलावा तुलसी वाली चाय पीने से सर्दी जुकाम में भी आराम मिलता है। इसका तेज एस्ट्रोन वाला स्वाद ताजगी भरी खुशबू आप को तनाव से उबारने में काफी मदद करती है।

 पुदीना

घर में पुदीना लगाना काफी ज्यादा फायदेमंद  होता है | पुदीना हाई और लो दोनों ही प्रकार के रक्तचाप (Bloodब्लडप्रेशर) को नियंत्रित करता है। इस रोग को कम करने के लिए पुदीने की चटनी और उसका रस का उपयोग किया जा सकता है। गर्मी में अक्सर लू लगने की समस्या हो जाती है ऐसे में पुदीने की चटनी को नियमित उपयोग करने से इसकी आशंका कम हो जाती है।

Home Remedies Tree in hindi
धनिया

सब्जियों का स्वाद व खूशबू बढ़ाने के लिए हरी धनिया का इस्तेमाल लगभग हर घर में किया जाता है। इसे आप अपने घर में भी आसानी से उगा सकते हैं। हरी धनिया थकान मिटाने में सहायक है। ये विटामिन ए से भरपूर धनिया मधुमेह में भी फायदेमंद है इसके उपयोग करने से रक्त में इंसुलिन की मात्रा नियंत्रित रहती है। इसके साथ ही यह शरीर में बैड कोलेस्ट्रोल की मात्रा घटाने और अच्छे कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ाने में भी बहुत लाभदायक है।

Curry leaves in hindi
करी पत्ता

करी पत्ते का ज्यादातर प्रयोग साउथ इंडियन खाने में किया करते  है। इसके सेवन  से खाने का स्वाद काफी बढ़ जाता है। दाल में तड़का लगाने के लिए या सांभर बनाने में करी पत्ते का अधिक किया जाता है। इसके अलावा यह डायबिटीज को नियंत्रित करने में भी काफी मदद करता है। डायबिटीज के मरीजों  को करी पत्‍ता जरूर खाना चाहिए।

Garlic Tree in hindi
लहसुन

क्या आप जानते है की लहसुन अपने आप में गुणों की खान है। भोजन में रोजाना लहसुन का इस्तेमाल करने से आप कई बिमारियों से दूर रह सकते हैं। यह एक तरह का ब्लड प्यूरीफायर है, जो खून  को साफ करता है। लहसुन कैंसर की आशंका को कम करने में भी काफी सहायक हो सकता है। इसके अलावा हाथ पैरों और जोड़ों के दर्द के लिए भी लहसुन काफी लाभदायक है।


हरियाली आपके घर का वातावरण को  भी खुशनुमा बनाने में मदद करती है। इसके साथ ही अगर सेहत का खजाना भी मिल जाए  तो कहना ही क्‍या। आप इन निरोगी अखने वाले पौधों को अपने घर पर उगा सकते हैं इससे आपको कई किस्म के फायदे मिलेंगे।

19 नवंबर 2015

टॉन्सिल्स के घरेलू उपचार Gharelu upchar for Tonsils in Hindi

जानिये  क्या है Tonsil ?


Tonsil
Tonsil
Tonsils की सूजन गले में होनेवाला मुख्य  बीमारी है. जिन लोगों को यह बीमारी होता है, उन्हें यह बार-बार सताता भी है. कफ एवं रक्त में खराबी के वजह से  तालू की जड़, जिसे गलतुंडिकाभी कहते हैं, उसमें ज्यादा सूजन आ जाती है. इसका मुख्य वजह से  सर्दी लगना है. सर्दी के वजह से  गला अधिक प्रभावित होता है. यह आपके शरीर में होनेवाले उपद्रव उपसर्गो से हमारी रक्षा करता है. 
     
क्यों होता है Tonsil सूजन

शीत ऋतु में आहार-विहार में गड़बड़ी के वजह से  ठंड लग जाती है जिसके वजह से  सूजन हो जाता है. इसके साथ-साथ अम्लीय पदार्थो का अधिक प्रयोग करना, ज्यादा दूषित वातावरण में रहना,  संक्रमित दूध पी लेना ,  बुखार  आदि वजह से  हैं, जो इस बीमारी को बढ़ाते हैं. Tonsil होने पर कंठ अधिक लाल हो जाता है व खाने एवं थूक निगलने में ज्यादा दर्द होता है.

Tonsils  के लक्षण

सबसे पहले Tonsil सूज कर ईंट के समान लाल हो जाता है. Tonsil पर पीला एवं सफेद चिह्न् पड़ जाता है. बीमारी अधिक बढ़ जाने पर प्रदाहवाला लाल भाग पक जाता है, उसमें पस भी हो सकता है. बच्चों में यह बीमारी अधिक होता है एवं शरीर का ताप 104 डिग्री तक चला जाता है. गले में पीड़ा के साथ-साथ ज्वर के वजह से  सिर में तेज दर्द, आवाज का बैठ जाना, खांसी एवं बेचैनी बढ़ जाती है. उचित चिकित्सा के अभाव में बीमारी बढ़ कर कठिन हो जाती है. सांसों से बदबू आती है.

क्या है इसकी चिकित्सा

आयुर्वेद चिकित्सा सबसे पहले रोग होने वाले कारणों से दूर रहने को ही कहता है. वैसे सभी खान-पान से बचें, जो बीमारी को बढ़ाते हैं. इस व्याधि में उपवास को परम औषध माना गया है. Tonsil के रोगी को गर्म पानी का सेवन करना चाहिए. सोंठ मिला गर्म पानी लेने से तुरंत लाभ मिलता है. दशांग लेप एवं आममोदादि चूर्ण का लेप समान भाग मिला कर गले पर लगाने से राहत मिलती है. इसके साथ अनेकों आयुर्वेदिक औषधियां इस बीमारी में लाभप्रद हैं. जैसे लक्ष्मीविलास रस 2-2 गोली शुष्म पानी से लेना चाहिए. श्रृंग रामरस टैब एवं सेपनो टैब 2-2 गोली शुष्म पानी से लेने चाहिए. बच्चों में यह बीमारी बार-बार हो, तो कुमार कल्याण रस 1-1 गोली दो बार शहद के साथ देना चाहिए. श्रृंगभादि चूर्ण एवं लवगांदि चूर्ण 1-1 रती तीन बार मधु से दें, लाभ मिलेगा. घरेलू उपाय में Tonsil सूजन को कम करने में हल्दी का पाउडर अच्छी दवा है. 1-1 चम्मच हल्दी का पाउडर शुष्म पानी से लें. Tonsils  होने पर तुरंत चिकित्सक से मिलना चाहिए.

इसके इलावा आप इसको भी आजमा सकते हैं

Gharelu upchar for Tonsils in Hindi 

Ø कपड़े को तवे पर हल्का गरम करके गला सेकें आपको आराम मिलेगा।
Ø हर रोज़ 15 मिनिट शंख मुद्रा का अभ्यास करने से आपको आराम मिलता है |
Ø रात को सोते समय 1 कप हलके गुनगुने भैंस या गाय के दूध में एक  छोटा चम्मच हल्दी का पाउडर डाल कर पीना भी Tonsil का एक घरेलू उपचार है।
Ø सुबह शाम गले मे उंगली डाल कर गला अच्छी तरह से सफ करें। ऐसा करने से टॉन्सिल्स का गंद साफ़ हो जाता है।
Ø Tonsil के घरेलू उपाय के लिए देसी घी से गले की मालिश करें। इससे Tonsil में जल्द आराम मिलता है।
Ø कब्ज़ के कारण हुए Tonsil के लिए गाजर का रस बहुत ही फायदेमंद साबित होता है। यह भी Tonsil के घरेलू इलाज में से एक है।
Ø Tonsil के रोगी जंक फ़ूड, चटपटा और तला खाना खाने से परहेज करें। खट्टी चीज़े जेसे की दही, छाछ का सेवन आदि ना करें।
Ø अंजीर को पानी में उबाल कर पेस्ट बना लें। फिर उस पेस्ट को गले पर लगायें। ऐसा करने से Tonsil मे राहत मिलेगी।

ज्यादा जानकारी के लिय किसी नजदीकी डॉक्टर से सलाह ले 

18 नवंबर 2015

Ayurvedic treatment for Blood purification

Ayurvedic treatment for Blood purification


रक्त (Blood) को साफ करने का घरेलु उपचार

Blood Purifier
Blood Purifier


हमारे जिश्म में साफ रक्त (Blood) का होना बहुत जरुरी है, क्‍योंकि यह हमारे अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य की निशानी है। अगर हमारा रक्त (Blood) साफ नहीं होगा तो दिन-रात अनेको बीमारियों से घिरे रहेगें और त्‍वचा पर भी इसका असर दिखना शुरु हो जाएगा। इसलिए आपको अपने रक्त (Blood) को साफ करने के लिए जरुरी कदम उठाने चाहिये। रक्त (Blood) को साफ रखने के लिए आप को ऐसे आहार खाने चाहिये जिससे आपका चेहरा दमकता रहे और आप स्‍वस्‍थ्‍य भी रहें। रक्‍त शुद्ध करने वाले आहार-

Ayurvedic treatment for Blood purification

रक्त (Blood) को साफ करने का घरेलु उपचार

1.नींबू- अगर आप रोज़ सुबह नींबू को गरम पानी में निचोड़ कर पिएगें तो यह आपके रक्त (Blood) को शुद्ध करने का बहुत अच्‍छा काम करेगा। यह घोल न केवल आपके रक्त (Blood) को साफ करेगा बल्कि यह जिश्म के सभी विशैले तत्‍वों को भी निकाल बाहर करेगा। अगर आप एक हफ्ते सुबह नींबू पानी पिएगें तो आप खुद ही इसका असर देख सकते हैं। भूंख तो बढेगी ही इसके साथ साथ वजन भी कम होगा।

2.मिर्च- किसी भी रुप में मिर्च खाने से रक्त (Blood) की साफाई हो जाती है। चाहे वो काली मिर्च हो या फिर हरी मिर्च ही क्‍यों न हो। मिर्च में एंटीऑक्‍सीडेंट पाया जाता है जो जिश्म में एक दरबान की तरह काम करता है और विषैले तत्‍वों को अंदर आने से रोकता है। हां अगर आपको मिर्च खाने से मना किया गया है तो आपको यह नहीं खानी चाहिये।

3.हरी सब्‍जियां- यह सब्‍जियां हमारे जिश्म से विषैले तत्‍वों को निकालती हैं क्‍योंकि इसमें क्‍लोरोफिल पाया जाता है। अब आप सोंच रहे होगें कि भला क्‍लोरोफिल से कैसे यह संभव है। पर यह एक ऐन्टीडिप्रेसन्ट का भी काम करता है इसलिए आपको अपने सलाद में इसे शामिल करना बहुत जरुरी है।

4.गाजर और चुकंदर- इसके अंदर कैरोटीन पाया जाता है जो न केवल आंखों ओर त्‍वचा के लिए अच्‍छा होता है। बल्कि कैरोटीन जिश्म के अंदर विषैले तत्‍वों को साफ कर के रक्त (Blood) को स्‍वच्‍छ भी बनाता है। गाजर हमारे पाचन तंत्र को भी सही रखता है।
5.अदरक- यह एक सूपर फूड माना जाता है। इसके कई फायदे हैं पर जो अनोखा फायदा है वह यह कि इससे रक्त (Blood) स्‍वच्‍छ होता है। अगर आप इसको कच्‍छा खाएगें तो यह साफ रक्त (Blood) बनाएगा और रक्त (Blood) में नई कोशिकाओं को जन्‍म देगा।
ज्यादा जानकारी के लिए किसी विशेषज्ञ डोक्टर से संपर्क करें