डेंगू बुखार होने के कारण क्या है ?
Ayurvedic treatment for hair fall in hindi
इस बीमारी के कारण, मच्छरों के द्वारा मानव जिश्म में वायरस पहुंचता हैं। डेंगू बुखार एक बड़ी बीमारी हैं जो
एडीज इजिप्टी मच्छरों के काटने से होता हैं। इस बीमारी में तेज बुखार के साथ जिश्म के उभरे चकत्तों से खून निकलता हैं। डेंगू बुखार तथा डेंगू बुखार ब्लडस्रावी बुखार बहुत मांसपेशीय तथा ब्लड से सम्बंधित बीमारी
है ये उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र मे तथा अफ्रीका मे मिलते है, ये चार प्रकार के निकटता से जुडे वायरस
से होते है, जो फ्लेविविराइड फॅमिली के होते है, बहुधा भी उन्हीं क्षेत्रों मे फैलता है जिनमे मलेरिया फैलता है, लेकिन मलेरिया से पृथकता यह है कि यह
शहरी क्षेत्र मे फैलता है जिनमे सिंगापुर, इण्डोनेशिया, फिलीपींस, इंडिया और ब्राजील जैसे देश भी शामिल
है, प्रत्येक वायरस इतना भिन्न होता है किसी एक से संक्रमण के बाद
भी अन्य के विरूद्ध सुरक्षा नहीं मिलती पति है, तथा जहाँ तहां ह महामारी के रूप मे फैलता है वहाँ एक समय मे अनेक प्रकार के वायरस
सक्रिय हो सकते है, डेंगू बुखार मानव मे एडिस एजेप्टी नामक मच्छर के काटने
से फैलता है [एडिस एलबोपिकटस से भी]यह
मच्छर हमेशा दिन मे काटता है।
डेंगू के लक्षण
यह बीमारी अचानक तेज बुखार के साथ शुरू होता है, जिसके साथ साथ तेज सिर में दर्द होता
है, मांसपेशियों तथा जोडों मे
भी भयानक तेज दर्द होता है जिसके चलते ही इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं। इसके
अलावा जिश्म पर लाल चकते भी बन जाते है जो
सबसे पहले पैरों पे फिर चेस्ट पर तथा कभी कभी सारे जिश्म पर फैल जाते है। इसके अलावा पेट खराब हो जाना, उसमें दर्द का होना, वीकनेस, दस्त लगना, ब्लेडर की समस्या, लगातार चक्कर आना, भूख ना लगना भी लक्षण के रूप मे ज्ञात
है।
कुछ मामलों मे ये लक्षण
हल्के होते है जैसे लाल चकते ना पडना, जिसके चलते इसे इंफ्लूएंजा का प्रकोप मान लिया जाता है या कोई और वायरस संक्रमण से होता है, यदि कोई इन्सान प्रभावित क्षेत्र से
आया हो और इसे नये क्षेत्र मे ले गया हो तो बीमारी की पहचान ही नहीं हो पाती है और
रोगी यह बीमारी केवल मच्छर या ब्लड के
द्वारा दूसरे को दे सकता है वह भी सिर्फ तब जब वह बीमार ग्रस्त हो।
आम तौर पर ये बुखार ६-७ दिन रहता है बुखार समाप्ति के समय फिर से कुछ समय के लिए बुखार वापस
आता है, जब तक रोगी का तापमान सामान्य
नहीं होता है तब तक उसके ब्लड मे (Platelets) की कम रहती है।
जब डेंगू बुखार हैमरेज बुखार होता है तो बुखार बहुत तेज हो जाता है ब्लडस्त्राव शुरू हो जाता
है, ब्लड की कमी हो जाती है, जिसके कारण थ्रोम्बोसाटोपेनिया हो
जाता है, कुछ मामलों में डेंगू बुखार
भयानक दशा [डेंगू बुखार शोक सिंड्रोम] हो जाती
है जिसमे मृत्यु की खतरा बढ़ जाती है।
डेंगू बुखार का पहचान
डेंगू बुखार को Break Bone बुखार के नाम से भी जाना जा रहा है। डेंगू बुखार की पहचान ज्यादा तर आज कल इन लक्षणों
के आधार पर डाक्टर करते है, बहुत तेज बुखार जिसका कोई और स्थानीय कारण समझ नहीं आये, सारे जिश्म पर गुलाबी चकते पड जाना, खून मे Platelets की संख्या लगातार कम हो जाना। बच्चो
मे डेंगू बुखार के लक्षण साधारण जाड़ा, बुखार एंव उलटी हो सकते है।
Ø
लगातार सिरदर्द होना, चक्कर आना, भूख ना लगना
Ø ब्लीडिंग की प्रवृति (अपने आप छिल जाना, नाक, कान से, से खून रिसना, खूनी पखाना और खून की उल्टी आना)
Ø
ब्लड मे (Platelets) की संख्या कम होना [प्रतिघन सेमी ब्लड मे एक लाख से कम होना]।
Ø
प्लासमा रिसाव होने के
साक्ष्य मिलना [हेमोट्रोक्रिट मे 20% से अधिक वृद्धि या हीमाट्रोक्रिट मे 20% से अधिक
गिरावट]।
डेंगू बुखार शोक
सिन्ड्रोम को परिभाषित किया गया है
Ø
धीरे धीरे नब्ज का चलना
Ø
नब्ज का दबाव कम होना
Ø
जड़ा लगकर बुखार आना |
४ कुछ लोगो मे यह बीमारी बुखार के १-२ दिन मे आलोचनात्मक चरण तक पहुच
जाता है। इस दौरान सीने और उदर गुहा में (लिक्विड) जमा हो जाते है। इस प्रचलन से जिश्म
के महत्वपूर्ण अंगों मे (लिक्विड) की कमी
हो जाती है। आमतौर पर (डेंगू बुखार आघात सिंड्रोम) शॉक और ब्लडस्राव (डेंगू बुखार ब्लडस्रावी बुखार ) डेंगू बुखार के ५-६ प्रतिशत मरीजो मे ही पाए जाते है। लेकिन जो लोग पहले से डेंगू बुखार वायरस
के अन्य सीरमप्रकारों (माध्यमिक संक्रमण से संक्रमित है उन लोगो मे शॉक और ब्लडस्राव के
पाए जाने कि संभावना बढ़ जाती है| सीरोलोजी तथा पोलिमर चेन रिक्शन के अध्ययन उपलब्ध है जिनके आधार पर डेंगू बुखार
की जाँच की जा सकती है अगर डॉक्टर लक्षण पाकर इसका संदेह व्यक्त करे।
डेंगू के इलाज
डेंगू बुखार का इलाज आम
तौर पर चिकित्सकीय प्रक्रिया से किया जाता है, लेकिन इसे दूसरे वायरस -जनित रोगों से अलग कर पाना मुशिकल है। इलाज का मुख्य
तरीका सहायक चिकित्सा देना ही है, मुंह के द्वारा तरल देते रहना क्योंकि अन्यथा पानी की कमी हो सकती है, नसों से भी तरल दिया जाता है, यदि ब्लड मे (Platelets) की संख्या बहुत कम हो जाये या ब्लड
स्त्राव शुरू हो जाये तो ब्लड चढाना भी पड़ सकता है, आंतो मे ब्लडस्त्राव होना जिसे मेलना की मौजूदगी से पहचान सकते है मे भी ब्लड
चढाना पड सकता है। डेंगू का सबसे अच्छा घरेलू इलाज पपीते की पत्ती का रस एव बकरी
का दूध अधिक से अधिक किया जाये इससे डेंगू के मरीज को बड़ा फायदा होता| इससे
प्लातेलेट्स एकदम से बढ़ जाती है और मरीज जल्द ठीक हो जाता है | इसके इलावा इस
संक्रमण मे एस्प्रीन या अन्य गैर स्टेरोईड दवाएँ लेने से ब्लडस्त्राव बढ जाता है
इसके जगह पर संदिग्ध मरीजों को पेरासिटामोल देनी चाहिए।
नियंत्रण और बचाव
डेंगू बुखार के रोक्थाम
के लिए यह जरुरी है कि डेंगू बुखार के मछरो (मोस्कीटो) के काटने से बचे, तथा इन मछरो (मोस्कीटो) के फैलने पर रोकथाम रखा जाए। ए ईजिप्टी को नियंत्रित
करने की प्राथमिक विधि उसके घर को नष्ट करने से है।यह पानी के कंटेनर को खाली करने या इन क्षेत्रों मे कीटनाशकों
के उप्योग से किया जात है। पर्यावरण संशोधन के माध्यम से पानी के खुले संग्रह को
ढक कर रखना ही रोकथाम का मुख्य तरीका है क्योंकि कीटनाशकों और नियंत्रण एजेंटों से
आपके सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह उपाय माने गये है। लोग पूरे वस्त्र
पहनकर् तथा मच्छरदानी का प्रयोग करके इससे
बच सक्ते है।
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